भुमि
नहीं, भवन नहीं, छात्र नहीं,
साधन
और अर्थ वह भी नहीं लेकिन क्षेत्र में शिक्षा और ज्ञान के
प्रकाश को फैलाने के लिये आत्मवलियों ने महाविद्यालय के
निर्माण का बीड़ा उठाया। जिनमें मुख्य रुप से निम्नलिखित
सद्स्यों की दो-चार बैठ्कों के बाद समिति का गठन हुआ-
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1. स्व0 रामविलाश राय
2. श्री गणेश प्रसाद सिंह, भूतपूर्व
प्रमुख
3. स्व0 सहदेव प्रसाद सिंह
4. स्व0 केशवलाल राव, भूतपूर्व प्रमुख
5. श्री हरि प्रसाद सिंह
6. श्री सतीश मोहन चौधरी
7. डा0 नरेश मोहन पाण्डेय |
8. श्री सत्यनारायण प्रसाद सिंह
9. श्री नारायण प्रसाद सिंह
10. श्री श्याम सुन्दर प्रसाद सिंह
11. श्री अनादि भूषण चौधरी
12. स्व0 चन्देश्वरी चौधरी, समाजसेवी
13. श्री सत्य नारायण सिंह, कठौन
14. डा0 महेश प्रसाद सिंह, प्राचार्य |
महाविद्यालय के लिये कम से कम 10 एकड़ भुमि की आवश्यकता होती
है, इसके लिये प्रयास जारी था। इस भुमि दान की कमी को भुसिया
निवासी समाजसेवी एवं शिक्षा जगत से जुड़े डा0 नरेश मोहन
पाण्डेय, श्री श्याम सुन्दर प्रसाद सिंह एवं श्री नारायण
प्रसाद सिंह, श्री विश्व्नाथ वर्मा व समाज के अन्य जागरुक
महानुभावों ने 1 बीघा, 15 डिसमिल, 10 डिसमिल, 5 डिसमिल्- समाज
के हर तबके के गरीब-अमीर व्यक़्तियों से जमीन की व्यव्स्था की।
फलस्वरुप स्थान का नाम
भुसिया
जोड़ा गया।
पुरे इलाके में चन्दा संग्रह से महाविद्यालय को चलाया जा रहा
था। इससे समस्या का समधान नहीं हो पा
रहा था। फलतः दाता सद्स्य के रुप में स्व0 दीपनारायण
सिंह-ग्राम: बढौना, बाराहाट, बांका ने जमीन एवं नगद कुल-1,25,000(
एक लाख पच्चीस हजार) रुपये का दान किया। समिति के
निर्णयानुसार महाविद्यालय का नाम
दीपनारायण सिंह महाविद्यालय, भुसिया, रजौन
हुआ। |